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अरीबा खान ने लोगों से अपने वार्ड की समस्याओं को लेकर बात की

शुक्रवार, 29 दिसम्बर, 2023 को कांग्रेस के स्थानीय नेता हिफजुर रहमान आज़मी के आवास पर वार्ड नंबर 188 की काउंसलर अरीबा खान ने लोगों से अपने वार्ड क...

धीरज प्रसाद साहू ने अपने घर से मिले 300 करोड़ रुपये के बारे में क्या कहा?

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शुक्रवार, 15 दिसंबर 2023

भारत में...

बीजेपी विधायक को बलात्कार केस में 25 साल जेल की सज़ा, 10 लाख रुपये का जुर्माना

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शुक्रवार, 15 दिसंबर 2023

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म्यांमार ने अफीम के उत्पादन में अफ़ग़ानिस्तान को पीछे छोड़ पहले स्थान पर पहुंचा

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मंगलवार, 12 दिसंबर 2023

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बिहार जातिगत सर्वे: 17.7 फ़ीसदी मुसलमान; हिंदू, बौद्ध और सिख कितने हैं?

भारत में बिहार की नीतीश सरकार ने आज जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी कर दिए हैं। सर्वे के दौरान धर्म से जुड़े आंकड़े भी जुटाए गए इसकी भी जानकारी दी ग...

बिहार: नीतीश सरकार ने जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी किए, अति पिछड़े 36 फ़ीसदी और पिछड़े 27 फ़ीसदी

भारत में बिहार सरकार ने जातीय जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं।  जनगणना के मुताबिक़ पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.13 फ़ीसदी है। अति पिछड़ा वर्ग क...

जोकोविच ने यूएस ओपन जीता, 24 ग्रैंड स्लैम जीतने वाले टेनिस स्टार बने

टेनिस खिलाड़ी नोवाक जोकोविच ने डेनिल मेदवेदेव को हरा कर यूएस ओपन जीत लिया है और इसके साथ ही वो 24 ग्रैंड स्लैम जीतने वाले टेनिस स्टार बन गए हैं।...

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एचआईवी को लेकर वैज्ञानिकों का दावा, संक्रमित जीन कोशिका से निकाला जा सकता है

एचआईवी को लेकर वैज्ञानिकों का दावा, संक्रमित जीन कोशिका से निकाला जा सकता है

बुधवार, 20 मार्च 2024

वैज्ञानिकों ने कहा है कि उन्होंने जीन एडिटिंग तकनीक का इस्तेमाल करते हुए सफलतापूर्वक कोशिका से एचआईवी को निकाल कर अलग किया है।

वैज्ञानिकों के अनुसार, उन्होंने नोबेल प्राइज़ जीतने वाली क्रिस्पर जीन एडिटिंग तकनीक का इस्तेमाल कर संक्रमित कोशिका से एचआईवी को काटकर अलग किया है।

उन्होंने इस तकनीक का इस्तेमाल कर मॉलिक्यूलर स्तर पर कैंची की तरह डीएनए से काट कर संक्रमित हिस्सों को अलग किया है।

यूनिवर्सिटी ऑफ़ एमस्टरडैम की टीम का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि इस तरीक़े से शरीर से एचआईवी संक्रमण को निकाला जा सकता है।

हालांकि इसी सप्ताह एक मेडिकल कॉन्फ्रेंस में इससे संबंधित शोध के बारे में और जानकारी देते हुए टीम ने कहा कि मौजूदा शोध इस ''कॉन्सेप्ट'' को साबित करता है कि इस तरह से कोशिका के डीएनए से संक्रमित हिस्सा निकाला जा सकता है लेकिन इस तरीके से जल्द एचआईवी का इलाज हो सकेगा ऐसा नहीं है।

एचआईवी को लेकर अब तक जो दवाएं मौजूद हैं वो इसे फैलने से रोककर इसका इलाज करती हैं, लेकिन वो इसे पूरी तरह से शरीर से ख़त्म नहीं कर सकतीं।

Weekly News

कच्छतीवु द्वीप पर पीएम मोदी का बयान: कांग्रेस ने विदेश मंत्री जयशंकर के रुख़ पर उठाए कई सवाल

कच्छतीवु द्वीप पर पीएम मोदी का बयान: कांग्रेस ने विदेश मंत्री जयशंकर के रुख़ पर उठाए कई सवाल

सोमवार, 1 अप्रैल 2024

कच्छतीवु द्वीप को 1974 में श्रीलंका को सौंपने के भारत सरकार के फ़ैसले पर दाख़िल एक आरटीआई आवेदन का जवाब आने के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार, 31 मार्च 2024 को इस द्वीप के श्रीलंका के पास चले जाने के मामले को उठाते हुए तत्कालीन कांग्रेस सरकार को ज़िम्मेदार बताया था।

इसके बाद सोमवार, 1 अप्रैल 2024 को कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं जयराम रमेश और पी चिदंबरम ने मोदी सरकार की नीयत पर सवाल उठाए।

इन नेताओं ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान 2015 में इस बारे में दाख़िल एक अन्य आरटीआई आवेदन के जवाब का ज़िक्र किया।

जयराम रमेश ने जयशंकर को घेरा

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने 2015 में भारत के विदेश सचिव रहे और अब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर को घेरा।

जयराम रमेश ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, "मौजूदा विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर, क्या 27 जनवरी 2015 को विदेश मंत्रालय के जवाब को नकार रहे हैं, जब वही विदेश सचिव थे?"

जयराम रमेश ने बताया, "2015 में कच्छतीवु पर एक आरटीआई सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि इस (समझौते) में भारत से संबंधित क्षेत्र का अधिग्रहण करने या उसे छोड़ने का मामला नहीं था, क्योंकि जिस इलाक़े को लेकर सवाल थे, उसका सीमांकन कभी हुआ ही नहीं था। समझौते के तहत, कच्छतीवु द्वीप भारत और श्रीलंका की अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के श्रीलंका के हिस्से में स्थित है। किसी राजनीतिक अभियान में बलि का बकरा खोजना सबसे आसान है। वो कौन होगा?''

चिदंबरम ने भी उठाए सवाल

भारत के पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने भी 2015 के उसी आरटीआई रिप्लाई का सहारा लेकर भारत के विदेश मंत्री जयशंकर पर सवाल खड़े किए हैं।

पी चिदंबरम ने अपने ट्वीट में लिखा, "उस रिप्लाई में उन हालात का ज़िक्र करते हुए भारत ने स्वीकार किया कि एक छोटा द्वीप श्रीलंका का है। विदेश मंत्री (जयशंकर) और उनका मंत्रालय अब कलाबाज़ी क्यों कर रहे हैं? लोग कितनी जल्दी रंग बदल लेते हैं। एक सौम्य उदार आईएफएस अधिकारी से एक चतुर विदेश सचिव और फिर आरएसएस-बीजेपी के माउथपीस बनने तक, जयशंकर का जीवन कलाबाज़ी के इतिहास में दर्ज किया जाएगा।''

कच्छतीवु मामले में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने क्या कहा?

सोमवार, 1 अप्रैल 2024

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार, 1 अप्रैल 2024 को कच्छतीवु मामले में कांग्रेस और डीएमके को निशाना बनाया।

एस जयशंकर ने कहा कि दोनों पार्टियां इस मुद्दे पर ऐसे बात कर रही हैं जैसे उनकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं है। उन्होंने कहा कि लोगों को ये जानने का अधिकार है कि कच्छतीवु द्वीप को दूसरे देश को कैसे दे दिया गया।

इस मुद्दे पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयशंकर ने कहा, ''ये ऐसा मुद्दा नहीं है, जो आज अचानक उठा है। ये वो मसला है, जो संसद और तमिलनाडु में लगातार उठता रहा है, इस पर बहस हुई। मेरे रिकॉर्ड बताते हैं कि इस मसले पर मैंने 21 बार जवाब दिया है।''

एस जयशंकर ने कहा कि जनता को ये जानने का अधिकार है कि कच्छतीवु द्वीप को श्रीलंका को दे दिया गया और कैसे 1976 में भारतीय मछुआरों का मछली पकड़ने का अधिकार भी उसे दे दिया गया, जबकि संसद में ये गारंटी दी गई थी कि 1974 के समझौते में भारतीय मछुआरों के अधिकार सुरक्षित रखे गए हैं।

एस जयशंकर ने कहा कि भारत को श्रीलंका के अधिकारियों के साथ मिल कर इसका हल निकालना चाहिए।

एस जयशंकर ने कहा, ''पिछले 20 साल में 6184 भारतीय मछुआरों को श्रीलंका ने पकड़ा। भारत की मछली पकड़ने वाली 1175 नावें ज़ब्त कर ली गईं। ये वो बैकग्राउंड है जिसके बारे में हम बताना चाहते हैं।''


इसराइल में नेतन्याहू सरकार के ख़िलाफ़ हज़ारों लोग सड़कों पर उतरे

इसराइल में नेतन्याहू सरकार के ख़िलाफ़ हज़ारों लोग सड़कों पर उतरे

सोमवार, 1 अप्रैल 2024

इसराइल में एक बार फिर सरकार विरोधी हज़ारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर पड़े हैं।

7 अक्तूबर 2023 को हमास के हमले के बाद से इसराइल को सदमा लगा था और इसके बाद इसराइली जनता के बीच एकता देखने को मिली थी।

लेकिन छह महीने बाद इसराइल में एक बार फिर बिन्यामिन नेतन्याहू की सरकार के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं। हजारों लोग इसराइल में सड़कों पर उतरे हैं।

रविवार, 31 मार्च 2024 की रात यरुशलम में हज़ारों प्रदर्शनकारियों ने उत्तर-दक्षिण में शहर के सबसे बड़े हाइवे को रोक दिया था।

इस दौरान सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों पर वॉटर कैनन से बदबूदार पानी छोड़ा।

प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि नेतन्याहू तुरंत इस्तीफ़ा देकर चुनाव कराएं। साथ ही कइयों की मांग थी कि ग़ज़ा में बंधक 130 इसराइलियों की रिहाई के लिए जल्द से जल्द डील की जाए।

बंधक बनाए गए लोगों के परिजनों और दोस्तों को डर है कि बिना सौदे के अगर युद्ध लंबा खिंचता है तो अधिक बंधक मारे जाएंगे।

साल 2023 में इसराइल में ऐसे प्रदर्शन हुए थे जिसने सरकार को हिला दिया था। उस समय प्रदर्शन आयोजित करने वाले समूहों ने ही इस बार लोगों से इसराइल की संसद के बाहर जुटने की अपील की।

नेतन्याहू सरकार ग़ज़ा में युद्ध को लेकर बड़े पैमाने पर आलोचना झेल रही है। ग़ज़ा में चल रहे युद्ध में अब तक इसराइल के 600 सैनिक मारे जा चुके हैं।

हमास के सात अक्टूबर 2023 को किए गए हमले में 1200 इसराइली मारे गए थे और 250 लोगों को बंधक बनाया गया था।

इसके बाद से इसराइल के हमले में 32 हज़ार फलीस्तीन के लोग मारे गए हैं और 75 हज़ार फलीस्तीन के लोग घायल हुए हैं। ये आंकड़ा ग़ज़ा के हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय का है।

ग़ज़ा के अल-शिफ़ा अस्पताल से इसराइली सैनिक बाहर आए, डब्लूएचओ ने कहा- 21 शव मिले

ग़ज़ा के अल-शिफ़ा अस्पताल से इसराइली सैनिक बाहर आए, डब्लूएचओ ने कहा- 21 शव मिले

सोमवार, 1 अप्रैल 2024

इसराइली सेना ग़ज़ा शहर के अल-शिफ़ा अस्पताल से बाहर आ गए हैं।  बीबीसी से बात करने वाले चश्मदीदों ने ये जानकारी दी।

दो सप्ताह पहले इसराइली सैनिकों ने अल-शिफ़ा में छापेमारी की थी और इसराइली सेना अल-शिफ़ा अस्पताल के भीतर थी।

इसराइली सेना का कहना था कि उसके पास ऐसी खुफ़िया जानकारी है जिसके अनुसार हमास इस अस्पताल को बेस की तरह इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन अपनी बात को साबित करने के लिए इसराइली सेना ने कोई सबूत पेश नहीं किया था। और अब तक इस तरह का कोई सबूत नहीं मिला है जो इसराइली सेना के झूठे खुफ़िया जानकारी को साबित करता हो।

हालांकि बीबीसी ने भी इन रिपोर्टों की पुष्टि नहीं की है।

इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि पिछले दो हफ़्तों के दौरान अल-शिफ़ा अस्पताल में 21 लोगों की मौत हुई है।

इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा था कि यहां 200 ''आतंकवादी'' मारे गए हैं। लेकिन अपनी बात को साबित करने के लिए प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कोई सबूत पेश नहीं किया था।

सोमवार, 1 अप्रैल 2024 को अल-शिफ़ा अस्पताल से इसराइली सैनिकों की वापसी के बाद फ़लीस्तीनी मीडिया ने हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले कहा था कि अस्पताल परिसर के आसपास दर्जनों शव मिले हैं।

अल-शिफ़ा अस्पताल पर पहली बार हमले के दौरान इसराइली प्रवक्ता डेनियल हगारी ने कहा था कि हमास के लोग एक बार फिर इस अस्पताल में इकट्ठा हो गए हैं।

हाल के कुछ हफ़्तों के दौरान अल-शिफ़ा अस्पताल के इर्द-गिर्द हमास के लड़ाकों और इसराइली सेना के बीच भारी लड़ाई की ख़बरें आई थीं।

इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने तोशा ख़ाना मामले में इमरान ख़ान और उनकी पत्नी की सज़ा निलंबित की

इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने तोशा ख़ाना मामले में इमरान ख़ान और उनकी पत्नी की सज़ा निलंबित की

सोमवार, 1 अप्रैल 2024

इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने तोशा ख़ाना मामले में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को दी गई सज़ा निलंबित कर दी है।

इमरान ख़ान और बुशरा बीबी ने जनवरी 2024 में इस्लामाबाद के एकाउंटेबिलिटी कोर्ट की ओर से तोशा ख़ाना मामले में सुनाई गई सज़ा निलंबित करने के लिए इस्लामाबाद हाईकोर्ट में अपील की थी।

इस्लामाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आमिर फ़ारूक़ और जस्टिस मियां गुल हसन औरंगज़ेब की दो सदस्यीय खंडपीठ ने इसी याचिका की सुनवाई करते हुए सोमवार, 1 अप्रैल 2024 को यह फ़ैसला सुनाया।

एकाउंटेबिलिटी कोर्ट ने अपने आदेश में इमरान ख़ान और उनकी पत्नी को 10 साल क़ैद और ज़ुर्माने की सज़ा दी थी। साथ ही अगले 10 साल तक उन्हें किसी भी सार्वजनिक पद पर रहने से अयोग्य करार दे दिया था।

इमरान ख़ान के वकील ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट के सामने दलील दी कि एकाउंटेबिलिटी कोर्ट ने इस मामले में फ़ैसला सुनाने में जल्दबाज़ी दिखाई थी।

इस्लामाबाद हाईकोर्ट की ओर से मिली राहत के बावजूद इमरान ख़ान अभी जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे, क्योंकि उन पर कई और केस भी चल रहे हैं।

फ़लस्तीनियों को उनके हक़ और मातृभूमि से वंचित रखा गया: भारत के विदेश मंत्री जयशंकर

फ़लस्तीनियों को उनके हक़ और मातृभूमि से वंचित रखा गया: भारत के विदेश मंत्री जयशंकर

गुरुवार, 28 मार्च 2024

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि इसराइल-फ़लस्तीन के बीच जारी संघर्ष में जो भी सही या ग़लत हो, तथ्य यही है कि फ़लस्तीनियों को उनके हक़ और मातृभूमि से वंचित रखा गया है।

एस जयशंकर ने कहा, ''सात अक्तूबर 2023 को जो हुआ वो एक 'आतंकवादी हमला' था, दूसरी ओर, निर्दोष नागरिकों की मौत को भी कोई बर्दाश्त नहीं करेगा। जवाबी कार्रवाई करने को आप सही ठहरा सकते हैं, लेकिन कार्रवाई का ये तरीक़ा नहीं हो सकता। जवाबी कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के तहत ही की जानी चाहिए।''

जयशंकर ग़ज़ा में जारी इसारइली कार्रवाई की ओर इशारा कर रहे थे।  एस जयशंकर ने ये सारी बातें अपने मलेशिया दौरे के दौरान कही हैं।

भारत हमेशा से इसराइल-फ़लस्तीन विवाद को सुलझाने के लिए टू-नेशन समाधान का समर्थन करता रहा है। यानी कि फ़लस्तीनियों के लिए एक अलग संप्रभु मुल्क हो।

जयशंकर का ये बयान तब आया है, जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने ग़ज़ा में युद्धविराम का प्रस्ताव पास किया है। इस वजह से इसराइल अमेरिका से ख़फ़ा है।

भारत की मोदी सरकार की छवि इसराइल के दोस्त के रूप में है लेकिन भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान इसराइल को तीखा लग सकता है।

ग़ज़ा में संघर्ष विराम तुरंत लागू हो, सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव को मंजूरी मिली

ग़ज़ा में संघर्ष विराम तुरंत लागू हो, सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव को मंजूरी मिली

सोमवार, 25 मार्च 2024

ग़ज़ा में तुरंत संघर्ष विराम लागू करने की मांग को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में लाया गया प्रस्ताव अब से थोड़ी देर पहले मंजूर हो गया है।

समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, इस प्रस्ताव पर हुए मतदान में अमेरिका ने भाग नहीं लिया।

चीन ने सोमवार, 25 मार्च 2024 को ही बताया था कि ग़ज़ा में संघर्ष विराम तुरंत लागू करने की मांग को लेकर उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव पेश किया है।

इससे पहले अमेरिका की ओर से लाए गए एक प्रस्ताव पर चीन और रूस ने वीटो लगा दिया था।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने बताया कि चीन इस मसौदा प्रस्ताव का समर्थन करता है।

उसने यह भी कहा कि वह इस प्रस्ताव को तैयार करने के लिए अल्जीरिया और अन्य अरब देशों की कड़ी मेहनत की तारीफ़ करता है।

सात अक्टूबर 2023 को इसराइल पर हमास के हमले के बाद ग़ज़ा पर हो रहे इसराइली हमले में अब तक 32,226 लोगों की मौत हो गई है। यह डेटा ग़ज़ा में हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी किया गया है।

ग़ज़ा पर यूएन में अमेरिकी रुख़ से इसराइल नाराज़, अमेरिका का दौरा रद्द किया

सोमवार, 25 मार्च 2024

ग़ज़ा में तुरंत संघर्ष विराम लागू करने की मांग करने वाला प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पारित होने के बाद इसराइल ने अपने प्रतिनिधिमंडल की अमेरिका की प्रस्तावित यात्रा रद्द कर दी है।

इसराइल के प्रधानमंत्री के कार्यालय ने बताया है कि यूएनएससी में अमेरिका के रुख़ में आए बदलाव के बाद बिन्यामिन नेतन्याहू ने यह फ़ैसला लिया है।

बिन्यामिन नेतन्याहू ने पहले ही धमकी दी थी कि अगर अमेरिका के रुख़ में बदलाव होता है, तो यह दौरा रद्द कर दिया जाएगा।

इसराइल की नाराज़गी का कारण इस प्रस्ताव पर हुए मतदान में अमेरिका का वीटो नहीं लगाना रहा है।

अमेरिका ने सोमवार, 25 मार्च 2024 को हुए मतदान में भाग नहीं लिया।  यह प्रस्ताव चीन लेकर ​लाया था।

हालांकि व्हाइट हाउस ने कहा है कि मतदान प्रक्रिया में भाग न लेना, अमेरिका की नीति में बदलाव होना नहीं है।

व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने यह भी कहा कि अमेरिका इसराइल से उसके इस फैसले पर बात करेगा।

ग़ज़ा की 20 लाख की आबादी पर "गंभीर खाद्य संकट" का ख़तरा मंडरा रहा है: एंटनी ब्लिंकन

ग़ज़ा की 20 लाख की आबादी पर "गंभीर खाद्य संकट" का ख़तरा मंडरा रहा है: एंटनी ब्लिंकन

बुधवार, 20 मार्च 2024

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बीबीसी से कहा कि ग़ज़ा की 20 लाख की आबादी पर "गंभीर खाद्य संकट" का ख़तरा मंडरा रहा है।

इसराइल-हमास जंग शुरू होने के बाद ये पहली बार है, जब ग़ज़ा की पूरी की पूरी आबादी के लिए इस तरह का बयान सामने आया है।

वहीं ग़ज़ा में काम कर रही संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने कहा है कि मई 2024 तक अगर युद्ध न रुका और ग़ज़ा में ज़रूरी मात्रा में राहत सामग्री न पहुंचाई गई तो ग़ज़ा भीषण भुखमरी का सामना कर सकता है।

एंटनी ब्लिंकन फ़िलहाल फ़िलिपीन्स के दौरे पर हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने मंगलवार, 19 मार्च 2024 को कहा है कि वो जल्द मध्य पूर्व का दौरा करने वाले हैं।

अक्टूबर 2023 में हमास के ख़िलाफ़ इसराइल के हमले के बाद ये मध्य पूर्व का एंटनी ब्लिंकन का छठा दौरा हैं। अपने दौरे में वो युद्धविराम बढ़ाने की संभावना को लेकर चर्चा करेंगे।

मंगलवार, 19 मार्च 2024 से क़तर में इसराइली मध्यस्थ एक बार फिर संभावित युद्धविराम को लेकर चर्चा कर रहे हैं। चर्चा में ग़ज़ा में राहत सामग्री पहुंचाने से लेकर हमास के कब्ज़े में मौजूद इसराइली बंधकों को छुड़ाने पर भी चर्चा होनी है।

ब्लिंकन ने क्या कहा?

बीबीसी ने एंटनी ब्लिंकन से सवाल किया था, कि अगर युद्धविराम न हुआ और मौजूदा हालात बरकरार रहे तो क्या इससे इलाक़े के भविष्य पर असर पड़ेगा।

इस सवााल के उत्तर में एंटनी ब्लिंकन ने कहा, "स्थिति का आकलन किया जाए तो ग़ज़ा की 100 फ़ीसदी आबादी गंभीर खाद्य संकट झेलने की कग़ार पर है।"

ये पहली बार है जब पूरी आबादी की स्थिति को इस तरह बताया जा रहा है।

गंभीर खाद्य संकट वो स्थिति होती है, जब खाना न मिलने के कारण किसी व्यक्ति के जीवन पर तुरंत ख़तरा मंडराने लगे। हालात न सुधरे तो ये भुखमरी का कारण बन सकता है।